Ulgulan Movement Hindi : उलगुलान आंदोलन एक आदिवासी विद्रोह था जो 19वीं सदी के अंत में भारत के छोटानागपुर क्षेत्र में हुआ था। इस आंदोलन का नेतृत्व आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा ने किया था, जिनका जन्म 1875 में हुआ था।
उलगुलान आंदोलन ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार और हिंदू जमींदारों द्वारा आदिवासी लोगों के शोषण की प्रतिक्रिया थी। मुंडा पारंपरिक रूप से जंगल में रहने वाले लोग थे जिन्हें अंग्रेजों द्वारा भूमि अधिकार दिए गए थे। हालाँकि, जमींदारों ने उनकी जमीन पर अतिक्रमण करना शुरू कर दिया और उन्हें उच्च लगान देने के लिए मजबूर किया।
1890 के दशक के अंत में बिरसा मुंडा मुंडाओं के नेता के रूप में उभरे। उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता का संदेश दिया और अंग्रेजों और जमींदारों को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। उन्होंने मुंडाओं को उनकी पारंपरिक जीवन शैली बहाल करने का भी वादा किया।
उलगुलान आंदोलन ने 1899 में गति पकड़ी। मुंडाओं ने पुलिस स्टेशनों, सरकारी भवनों और जमींदारों की संपत्ति पर हमला किया। उन्होंने कई ब्रिटिश अधिकारियों और जमींदारों को भी मार डाला।
ब्रिटिश सरकार ने उलगुलान आंदोलन का जोरदार जवाब दिया। उन्होंने बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। अंततः आंदोलन को दबा दिया गया, लेकिन इसका भारत के जनजातीय लोगों पर स्थायी प्रभाव पड़ा।
उलगुलान आंदोलन को भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण आदिवासी विद्रोहों में से एक माना जाता है। यह आदिवासी लोगों के शोषण और उत्पीड़न के प्रतिरोध का प्रतीक है।
उलगुलान आंदोलन के कुछ कारण इस प्रकार हैं:
ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार और हिंदू जमींदारों द्वारा आदिवासी लोगों का शोषण।
जनजातीय लोगों की भूमि और आजीविका का नुकसान।
आदिवासियों के बीच ईसाई धर्म और इस्लाम का प्रभाव बढ़ रहा है।
यह विश्वास कि बिरसा मुंडा एक मसीहा व्यक्ति थे जो आदिवासी लोगों को बेहतर भविष्य की ओर ले जाएंगे।
उलगुलान आंदोलन के कई परिणाम हुए, जिनमें शामिल हैं:
ब्रिटिश सरकार द्वारा आदिवासियों का दमन।
जान-माल की हानि.
जनजातीय लोगों का उनकी पारंपरिक मातृभूमि से विस्थापन।
मुंडा भाषा और संस्कृति का पतन।
उलगुलान आंदोलन के दमन के बावजूद इसे भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। यह न्याय और समानता के लिए आदिवासी लोगों के संघर्ष की याद दिलाता है।
Birsa Munda Ka Janm Kab Hua Tha?
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को उलीहातु गांव, चांडिल जिला, झारखंड में हुआ था. वह एक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने 19वीं सदी के अंत में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था.
उलगुलान क्या था?
- उलगुलान एक आदिवासी विद्रोह था, जो 1899-1900 में झारखंड के चांडिल और सिंहभूम जिलों में हुआ था. इस विद्रोह का नेतृत्व बिरसा मुंडा ने किया था.
- उलगुलान विद्रोह का कारण अंग्रेजों द्वारा आदिवासियों के शोषण और उत्पीड़न था. अंग्रेज आदिवासियों को जबरन भूमि से बेदखल कर रहे थे और उनसे अत्यधिक कर वसूल रहे थे.
- बिरसा मुंडा ने आदिवासियों को एकजुट किया और उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने आदिवासियों को बताया कि वे अंग्रेजों के अधीन नहीं हैं और उन्हें स्वतंत्रता के लिए लड़ना चाहिए.
- उलगुलान विद्रोह अंग्रेजों के लिए एक बड़ी चुनौती थी. हालांकि, अंग्रेजों ने विद्रोह को दबा दिया और बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें 9 जून, 1900 को जेल में ही मार डाला गया.
बिरसा मुंडा एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने आदिवासियों के लिए संघर्ष किया और उन्हें स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया. वह आज भी आदिवासियों के लिए एक प्रेरणा हैं.
- बिरसा मुंडा का नारा था – “होरे वीर होरे”. इसका अर्थ है – “जागो, वीर जागो”.
- बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि 9 जून को मनाई जाती है.
- बिरसा मुंडा का धर्म हिंदू धर्म था.