आदित्य पूजन 2022
सावन महीने में आने वाले दिन का अपना अलग ही महत्व होता है. सावन महीना उपवास का यानी के व्रत का महीना माना जाता है. इस महीने में लोक उपवास रखते हैं. तो आइए जानते हैं “आदित्य पूजन” क्या है और इसका व्रत किस तरह से मनाएं।
आदित्य पूजन महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्सों में श्रावण मास के रविवार को मनाया जाता है 2022 में आदित्य पूजन की तिथि 21 जुलाई से, 7 अगस्त, 14 अगस्त और 21 अगस्त में है. क्योंकि सावन मास का प्रत्येक दिन एक विशिष्ट व्रत या पूजा के लिए समर्पित होता है इसलिए बेहतर स्वास्थ्य के लिए आदित्य पूजन के दिन सूर्य भगवान की पूजा की जाती है.
इस दिन सूर्योदय के समय विशेष अनुष्ठानों के साथ सूर्य भगवान की पूजा की जाती है भोग चढ़ाया जाता है जैसे की खीर सूर्य भगवान को अर्पित की जाती है और पूजन के बाद भक्तों में वितरित की जाती है. सावन महीने में रविवार के अलावा पष्ठी और सप्ताही सूर्य भगवान को समर्पित है. शुक्ल पक्ष की पष्ठी को सूर्य पष्ठी मनाई जाती है.
आदित्य पूजन को मराठी में “आदित्य रेनूबाई व्रत” के नाम से भी जाना जाता है. इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है.
तो चलिए जानते हैं. आदित्य रेनूबाई व्रत की कहानी के बारे में
श्रावण मास में रविवार के दिन व्रत करने की प्रथा है. यह व्रत स्त्रियोंद्वारा किया जाता है. स्नान करने के बाद सूर्य का चंदन से चित्र बनाया जाता है उसके बाजू में वर्तुल आकार पष्टकोण निकाला जाता है.
सावनी रविवार की कहानी
रानूबाई यह सूर्य की पत्नी है. आदित्य रेनूबाई व्रत में इनकी पूजा की जाती है.
इस कहानी में ऐसा कहा जाता है कि एक रानी थी जिसने रानी रानूबाई की कथा ना सुनने की वजह से उन्हें दरिद्रता प्राप्त हुई इस वजह से इस रानी ने आदित्य रानूबाई की पूजा की इस पूजा के बाद उन्हें फिर से अपना वैभव प्राप्त हुआ.
दूसरी कथा महाराष्ट्र राज्य से जुड़ी है. महाराष्ट्र में खानदेश में इस व्रत को विशेष महत्व है. इस दिन खानदेश में रहने वाले लोग अपने घरों में शुभ कार्य के दौरान रानूबाई की सूर्य के साथ शादी करने का रिवाज है.