Mahavir Jayanti Speech in Hindi

Mahavir Jayanti Speech in Hindi: नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का informationhindi.in इस वेबसाइट में आज का आर्टिकल में हम जाने वाले हैं वर्ष 2030 में “महावीर जयंती भाषण हिंदी” कैसे करें इस विषय के बारे में।

दोस्तों स्कूल, महाविद्यालय कॉलेज में अक्सर विद्यार्थियों के लिए कुछ विषय दिए जाते हैं जिसके आधार पर आपको स्कूल में भाषण करने पड़ते हैं।

महावीर जयंती के दिन पर भी विद्यार्थियों को भाषण करने का अवसर मिलता है। लेकिन बहुत से विद्यार्थी भाषण कैसे शुरू करें इसके बारे में कंफ्यूज रहते हैं। भाषण कैसे शुरू करें इसके बारे में उन्हें कोई भी जानकारी नहीं होती। इसीलिए आज हम महावीर जयंती हिंदी भाषण कैसे करें इस बारे में जानकारी लेने वाले हैं।

महावीर जयंती हिंदी भाषण 2023 – Mahavir Jayanti Speech in Hindi

महावीर जयंती हिंदी भाषण की शुरुआत कैसे करें?

आदरणीय
महोदय, प्राध्यापक और मेरे प्यारे दोस्तों…

आज हम यहां महावीर जयंती मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। महावीर जयंती जैन धर्मों द्वारा मनाने जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है। इस दिन नेशनल होलीडे होता है।

ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च अप्रैल के महीने में महावीर जयंती मनाई जाती है। यह जैन धर्म का मुख्य त्योहार है जो महावीर जयंती के रूप में मनाया जाता है। वर्धमन महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर है। जैन धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों द्वारा महावीर जयंती का पर्व काफी हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है।

भगवान महावीर का जन्म करीब करीब ढाई हजार वर्ष पहले (ईसा से 540 वर्ष पूर्व) वैशाली गणराज्य के कुण्डग्राम में अयोध्या इश्वाकुवंशी क्षत्रिय परिवार में हुआ था। तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्ति होकर राज वैभव का त्याग कर दिया और सन्यास धारण कर आत्म कल्याण के पद पर निकल गए। १२ वर्षो की कठिन तपस्या के बाद उन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ जिसके पश्चात् उन्होंने समवशर्ण में ज्ञान प्रसारित किया। ७२ वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई। जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्मदिवस को महावीर जयंती तथा उनके मोक्ष दिवस को दिपावली के रूप में धूम धाम से मनाया जाता है।

जैन ग्रन्थों के अनुसार समय समय पर धर्म तीर्थ के प्रवर्तन के लिए तीर्थंकरों का जन्म होता है, जो सभी जीवों को आत्मिक सुख प्राप्ति का उपाय बताते है। तीर्थंकरों की संख्या चौबीस ही कही गयी है। भगवान महावीर वर्तमान अवसपिर्णी काल की चौबीसी के अंतिम तीर्थंकर थे और ऋषभदेव पहले। हिंसा, पशुबलि, जात-पात का भेद-भाव जिस युग में बढ़ गया, उसी युग में भगवान महावीर का जन्म हुआ। उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया। तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया। उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो है– अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) , ब्रह्मचर्य। उन्होंने अनेकांतवाद स्यादवाद और अपरिग्रह जैसे अद्भुत सिद्धान्त दिए। महावीर के सर्वोदयी तीर्थों में क्षेत्र, काल, समय या जाति की सीमाएँ नहीं थीं। भगवान महावीर का आत्म धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था। दुनिया की सभी आत्मा एक-सी हैं इसलिए हम दूसरों के प्रति वही विचार एवं व्यवहार रखें जो हमें स्वयं को पसन्द हो। यही महावीर का ‘जियो और जीने दो’ का सिद्धान्त है।

महावीर जयंती के दिन भाषण करने का अवसर देने के लिए मैं आप सभी का आभारी हूं।

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